हनुमान जी भारतीय पौराणिक कथाओं के प्रमुख देवताओं में से एक हैं, जिन्हें असीम शक्ति, भक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। उनके नाम “हनुमान” के पीछे एक रोचक कहानी है।
![हनुमान जी का नाम हनुमान कैसे पड़ा? जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा](https://www.o4opinion.com/wp-content/uploads/2024/06/हनुमान-जी-का-नाम-हनुमान-कैसे-पड़ा-जानें-इसके-पीछे-की-पौराणिक-कथा-1024x546.jpg)
1. हनु का अर्थ और उत्पत्ति:
“हनुमान” नाम संस्कृत के शब्द “हन्” से बना है, जिसका अर्थ है “मारना” या “क्षति पहुंचाना”। इसके साथ “मान” का अर्थ होता है “गर्व”। इसका एक अर्थ यह भी है कि वे अपने शत्रुओं का गर्व और अहंकार नष्ट कर देते हैं।
2. हनु का क्षति:
रामायण के अनुसार, जब हनुमान जी छोटे थे, तो उन्होंने सूरज को एक फल समझकर निगलने की कोशिश की। इससे चारों ओर अंधकार फैल गया और इंद्रदेव ने अपने वज्र से हनुमान जी पर प्रहार किया। इस प्रहार से हनुमान जी की ठोड़ी (हनु) टूट गई। इसीलिए उन्हें “हनुमान” कहा जाने लगा, जिसका अर्थ है “जिसकी हनु (ठोड़ी) टूटी हो।”
3. अन्य कथाएं:
कुछ अन्य कथाओं में बताया गया है कि हनुमान जी का नामकरण उनके अद्वितीय साहस और शक्ति के कारण हुआ। उन्हें “हनुमत” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है “शक्तिशाली” या “सम्पन्न”।
4. विभिन्न ग्रंथों में उल्लेख:
महाभारत, रामायण और पुराणों में हनुमान जी के नाम और उनके कृत्यों का विस्तार से वर्णन किया गया है। उनके अद्वितीय बल, भक्ति और बुद्धिमत्ता के कारण उन्हें कई नामों से पुकारा जाता है, जैसे अंजनेय, मारुति, बजरंगबली, पवनसुत आदि।
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निष्कर्ष:
हनुमान जी का नाम उनके अद्वितीय कृत्यों और जीवन की घटनाओं के कारण पड़ा है। उनकी भक्ति, साहस और शक्ति ने उन्हें देवताओं और भक्तों के बीच एक विशिष्ट स्थान दिलाया है। उनके नाम की उत्पत्ति की कहानियां उनके अद्वितीय व्यक्तित्व और उनके अवतार के गहरे अर्थ को दर्शाती हैं।
हनुमान जी का नामकरण और उनके जीवन की कथाएं हमें असीम शक्ति, साहस और भक्ति का प्रतीक रूप में प्रेरित करती हैं। उनकी उपासना से हमें अपने जीवन में धैर्य, साहस और समर्पण की महत्वपूर्ण शिक्षा मिलती है।