HomeEducationalभक्तिकाल का वर्गीकरण क्या होता है | समझाइए

भक्तिकाल का वर्गीकरण क्या होता है | समझाइए

कृतियों में धार्मिक व सामाजिक भावनाओं के प्रतीक भाग माना जाने वाला ‘भक्तिकाल’ हमारी साहित्यिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस काल की विशेषताएँ, रूपों का विकास, और प्रभावी रचनाकारों का उल्लेख इस लेख के माध्यम से विस्तार से दिखाएँगे।

भक्तिकाल का वर्गीकरण क्या होता है | समझाइए

भक्तिकाल की परिभाषा

  • भक्तिकाल वह काल है जब संस्कृति और साहित्य में भक्ति आधारित रचनाएं प्रमुख हुईं।
  • इस काल को मध्यकालीन काव्य का एक महत्त्वपूर्ण अवधि माना जाता है।

भक्तिकाल की विशेषताएँ

  • इस काल में भक्तिभावना, ईश्वर प्रेम, धार्मिक और नैतिक मूल्यों को प्रधान मनःस्थिति माना जाता है।
  • साहित्य में उल्लेखनीय अंतर्निहित सुंदरता, आदर्शवाद, सत्यता, त्याग, और मनःपूर्वक अभिव्यक्ति नजर आती है।

भक्तिकाल के महान कवि

1. सूरदास

  • सूरदास एक महान कवि थे जिन्होंने अपनी रचनाओं में ईश्वर की प्रेम भावना को अद्वितीय रूप से व्यक्त किया।
  • ‘सूर सागर’, ‘सूर सारावली’, और ‘सूर दोहावली’ उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं जो भक्तिकाल के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

2. तुलसीदास

  • तुलसीदास एक अत्यंत प्रशंसित कवि हैं जिन्होंने रामचरितमानस जैसी महाकाव्यिका रचना की।
  • इस महाकाव्य में रामायण के किसी अन्य कथानक से महकती भक्ति भावना को रंगीनता से दिखाया गया है।

भक्तिकाल के प्रमुख रचनाएं

1. ‘गित गोविन्द’ (जयदेव)

  • गित गोविन्द भक्तिकाल की मशहूर रचनाओं में से एक है।
  • इसमें प्रेम और अनुभवों का आराधन सुंदरता से हुआ है।

2. ‘प्रश्नपत्री’ (कबीर)

  • कबीर के द्वारा लिखी गई प्रश्नपत्री भी भक्तिकाल के प्रमुख रचनाएं में से एक है।
  • इसमें ईश्वर और मनुष्य के रिश्ते के मूलभूत सवाल पूछे गए हैं, जो आधुनिक विचारधारा को प्रभावित करते हैं।

यह भी पढ़ें:-

निष्कर्ष

भक्तिकाल साहित्य का वास्तविक महत्त्व उसकी भक्ति और आध्यात्मिकता में छिपा हुआ है। इस काल के द्वारा साहित्य की सामान्य लचीलापन और भावों की प्रखरता का परिचय मिलता है, जो आज भी हमारे जीवन को प्रभावित करता है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest News