यह दुनिया कितनी खूबसूरत है… और हाँ कितनी रंग बिरंगी भी| हर रंग का एक अलग ही मनोहर दृश्य होता है पर कभी सोचा है उनके बारे में जो रंगों का पहचान ही नहीं कर पाए या फिर कहे तो वो अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में नेत्रों से इस रंग बिरंगी एवं खूबसूरत दुनिया का दीदार करने में असमर्थ हो|
Netrahin Bache Kaise Padhte Hain
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं उन्ही असहाए एवं बेबस लोगो का जिन्होंने अपने नेत्रों से कभी भी इस दुनिया में भेदभाव नहीं किया … या फिर यह कह सकते है कि वो नेत्रों के होते हुए भी नेत्रहीन होते हैं.
क्या कभी सोचा है नेत्रहीन लोग एवं नेत्रहीन बच्चे पढाई कैसे करते होंगे ?
यदि हाँ तो नीचे पढ़िए और जानिये आप कितने हद तक सही हैं
और यदि नहीं तो तो बने रहिये हमारे साथ और जानिये नेत्रहीन बच्चों के पढाई में संघर्ष और जुझारूपन का हाल
ब्रेल लिपि : अंधकार की दुनिया में रौशनी की एक किरण
देखिये.. सर्वप्रथम जो सबसे बड़ा सवाल है वो यह है की जब इन नेत्रहीन बच्चों को दिखाई देता ही नहीं है तो आखिर ये ज्ञान प्राप्त करते कैसे हैं ? क्युकी ये तो हमारी किताबें भी प्रयोग में नहीं ला सकते … तो फिर बात वहीं आकर अटकती है की आखिर कैसे ?
तो मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की इनके लिए कोई अतिरिक्त ट्रेनिंग या तकनीक नहीं होती है
लेकिन हाँ , इन विशिष्ट श्रेणी के लोगो के लिए एक विशेष लिपि जरुर होती है , जिसके सहारे ये अपने रोजाना के जीवन में अपनी इच्छा के अनुसार उपलब्ध पुस्तकों को पढ़ कर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं |
सर लुईस ब्रेल
ब्रेल पद्यति या यूँ कहें की ब्रेल लिपि एक ऐसी लिपि है जिसने काफी हद तक इन नेत्रहीनो के अंधकारमय दुनिया में कुछ प्रकाश लाने का कार्य किया है |सर लुईस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के कूपव्रे नामक स्थान पे हुआ था |
ब्रेल लिपि का आविष्कार सन्न 1821 इश्वी में लुईस ब्रेल 3 वर्ष की उम्र में अपनी एक आँख खो दी थी और 8 वर्ष की उम्र में पूर्ण रूप से अंधे हो चुके थे |
लुइ ब्रेल अपने जीवन काल में आगे चलकर नेत्रहीनो के शिक्षक एवं उन्हें अपने ब्रेल लिपि से अवगत करवाया |
फ्रांस के इस महान आविष्कारक के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में 4 जनवरी को समूचे विश्व में ब्रेल दिवस के रूप में मनाया जाता है |
ब्रेल लिपि कैसे लिखी जाती हैं ?
पूर्वकाल में लोगो को सोनोग्राफी एवं नाईट राइटिंग तकनीक के द्वारा पढाई करायी जाती थी | ब्रेल पद्धति और कुछ नहीं अपितो उसी सोनोग्राफी कला का नवीनीकरण कर के तैयार की गयी एक लिपि है जो की पूर्ण रूप से 1824 इश्वी में बन कर तैयार हुई थी | ब्रेल पद्धति में कागज़ के ऊपर उभार व्यक्त कर नयी आकृतियों को जन्म दिया जाता है जिसके सहारे उस लेखनी के उपाचार्य उसका अध्ययन करने में समर्थ होते हैं |ब्रेल लिपि में कुल मिलाकर 64 अक्षर होते हैं और कुछ चिन्ह भी होते हैं जिनके सहारे दृष्टिहीन लोग अध्ययन कर पाते हैं |
ब्रेल लिपि का आशय क्या है ?
ब्रेल लिपि दृष्टिहीन समुदाय के बीच सबसे लोकप्रिय तरीका है जिसके सहारे लोग खुद को साक्षर बना सकते हैं |यह लिपि विश्व भर में नेत्रहीनो को पढ़ने और लिखने में सहायक सिद्ध हुआ है | ब्रेल लिपि का सीधा-सीधा आशय दृष्टिहीन समुदाय के बीच साक्षरता फैलाना है | पिछले 200 वर्षो से ब्रैल लिपि नेत्रहीन समुदाय के बीच अत्यंत ही कारगर सिद्ध हुआ है | गुज़रते हुए समय के साथ ही तकनीकी विकास के साथ साथ दृष्टिहीन बच्चों के लिए पढाई के और भी तरीके विकसित
निष्कर्ष
उम्मीद है दृष्टिहीन बच्चों के पढाई के तरीकों एवं ब्रेल लिपि के बारे में पेश किये गए इस आर्टिकल से आप अच्छी तरह समझ सके हो कि यह पद्धति क्या है एवं आशा करता हु कि उपरोक्त दिए गए जानकारी आपके हेतु सहायक सिद्ध होगा. आर्टिकल से संबंधित किसी भी प्रकार का परेशानी होने पर कमेंट में हमें अवश्य अवगत करायें |