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इस तरह से सावन में करें रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्त्रोत का पाठ सावन खत्म होते ही होगी सभी मनोकामनाएं पूर्ण जल्दी से पूजन विधि को जाने कहीं देर ना हो जाए

आज सावन माह का दूसरा दिन है. सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. और भगवान भोलेनाथ के भक्त सावन के महीने का इंतजार बेसब्री से करते हैं. और पूरी हृदय से भगवान भोलेनाथ की आराधना और जलाभिषेक किया जाता है.

और हर जगह जगह पर कावड़ यात्रियों को आपने सावन के महीने में जरूर देखा होगा. भक्तों में हमेशा से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह की पूजन विधि कावड़ यात्रा और भी इत्यादि तरीके किया करते हैं. लेकिन हम आपको एक भगवान भोलेनाथ का सबसे सरल विधि से पूजन करने का उपाय बताने जा रहे हैं. आप इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें 👇👇

सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल विधि

वैसे तो भगवान शिव के अनंत भक्त हैं. लेकिन भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त मैं से एक रावण था. और और भगवान भोलेनाथ भी रावण को अपना सबसे बड़ा भक्त मानते थे. ऐसे में एक दिन जब भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर माता पार्वती जी के साथ बैठे हुए थे. तभी रावण वहां पहुंचता है.

और कैलाश पर्वत को ही अपने हाथ से उठाने लगता है. तो भगवान भोलेनाथ ने अपने पैर का अंगूठा कैलाश पर्वत के ऊपर रखते हैं. और रावण का हाथ कैलाश पर्वत के नीचे फंस जाता है. और अपार पीड़ा रावण को होने लगती है.

और भगवान भोलेनाथ भी क्रोधित हो जाते हैं रावण के इस कृत्य पर लेकिन रावण भी शिव जी का बहुत बड़ा भक्त और सबसे बड़ा विद्वान था तब रावण ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्त्रोत का निर्माण करता गया और गाता गया शिव तांडव के मंत्रों को सुनकर भगवान भोलेनाथ रावण के ऊपर अति प्रसन्न हो गए

तब भगवान भोलेनाथ ने अपने पैर का अंगूठा हटाया. और तब रावण का हाथ बाहर निकला. उसके बाद भगवान भोलेनाथ ने अति प्रसन्न होने के साथ-साथ रावण को आशीर्वाद दिया रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्त्रोत का पाठ जो भी भक्त शाम के टाइम में करेगा. उसकी हर एक मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. क्योंकि वह शाम का वक्त था जब रावण ने कैलाश पर्वत सहित भगवान शिव को उठाने की कोशिश की थी.

शिव तांडव स्त्रोत पाठ करने की विधि

वैसे तो इसे बहुत लोग सुबह को भी पढ़ते हैं लेकिन इसका अतिशीघ्र फल पाने के लिए सायं काल में ही पढ़ना उचित है सब Se

आप मंदिर में या अपने घर के मंदिर में शिव तांडव स्त्रोत का पाठ कर सकते है. शाम के वक्त करने के लिए आप स्वच्छ होकर आसन पर बैठ जाएं. और धूप और अगरबत्ती जला कर भगवान शिव का ध्यान करें. और शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना शुरू कर दें. अगर आपके पास डमरु हो तो एक हाथ से डमरू बजाते हुए शिव तांडव स्त्रोत का गायन शुरू कर दें. और आपको पूरे सावन सायंकाल में करनी हैं. और आपकी सारी मनोहर फल पूर्ण होगी

Canclusion

आपने इस पोस्ट में सावन के महीने में भगवान शिव को अतिशीघ्र प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्त्रोत के पाठ और पूजन विधि के बारे में जाना है. हमें उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी. आपके लिए और भी जानकारी भरी पोस्ट लिखी हुई हैं. आप उन पोस्ट को भी जरूर पढ़ें. पोस्ट पूरा पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

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